ग्रामीण विकास का अर्थ एवं परिभाषा
भारत को गांवों का देश कहा जाता है अतः भारत के सर्वागीण विकास के लिए यह आवश्यक है कि यह गांव के विकास पर समुचित ध्यान दिया जाए ग्राम विकास से अभिप्राय है ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अनेकानेक न्यूज़ आय वर्ग के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना और उनके विकास के क्रम को आत्म पोषित बनाना या एक ऐसी व्यू रचना है जो लोगों के एक विशेष समूह निर्धन ग्रामीण के आर्थिक एवं सामाजिक जीवन को उन्नत बनाने के लिए बनाई गई है इसका उद्देश्य विकास के लाभों को ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन यापन की तलाश में लगे निर्धन तुम लोगों तक पहुंचाना है इसके अंतर्गत एक निश्चित ग्रामीण क्षेत्र में ग्रामीण जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए प्राकृतिक एवं मानवीय संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग आता है।
ग्रामीण विकास की कुछ महत्वपूर्ण परिभाषाएं निम्नलिखित है-
उमा लैली- ग्रामीण विकास से अभिप्राय ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अनेकानेक न्यून आय वाले वर्ग के लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाना और उनके विकास के क्रम को आत्मपोषित बनाना है।
एम एम साह - ग्रामीण विकास एक पद्धति है जिसके अंतर्गत सामूहिक प्रयासों से शहरी क्षेत्र से बाहर रहने वाले लोगों के कल्याण तथा आत्मज्ञान में सुधार लाने का प्रयास किया जाता है।
संक्षेप में ग्रामीण विकास के अंतर्गत व व्यापक क्रियाएं आती है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था के सभी पहलुओं से संबंधित होती है तथा उनमें सभी ग्रामीण वर्गों को शामिल किया जाता है जैसे कृषक, भूमिहीन श्रमिक ,ग्रामीण दस्तकार आदि इस आधार पर ग्रामीण विकास कार्यक्रम निम्नलिखित घटकों पर आधारित होते हैं--
1. क्षेत्र में उपलब्ध संसाधन एवं उनमें अंतर संबंध।
2. क्षेत्र के निवासी एवं उनमें पूरक प्रतिस्पर्धात्मक संबंध।
3. आत्म-निर्भरता के उद्देश्य की प्राप्ति की क्षमता।
4. आवश्यक अवसंरचना।
5. उचित तकनीक जो उत्पादकता एवं रोजगार में वृद्धि कर सकें।
6. संस्थाएं प्रेरणा एवं नीतियां जो समन्वित प्रयास के लिए आवश्यक है।
वर्तमान समय में ग्रामीण विकास के अंतर्गत कृषि एवं संबंध क्रियाओं बागवानी लघु सिंचाई भूमि विकास मिट्टी एवं जल संरक्षण पशुपालन दुग्ध उत्पादन मुर्गी पालन सूअर पालन मत्स्य पालन खादर एवं खादी उद्योग सामाजिक वानिकी तथा कृषि एवं वन पर आधारित उद्योगों की स्थापना पर विशेष बल दिया जाता है इस प्रकार ग्रामीण विकास में उन नीतियों एवं कार्यक्रमों को अपनाया जाता है जो ग्रामीण क्षेत्रों का विकास करें तथा कृषि वानिकी मत्स्य ग्रामीण शिल्प एवं उद्योग तथा सामाजिक एवं आर्थिक अवसंरचना के निर्माण आदि क्रियाओं को प्रोन्नत करें।
भारत में ग्रामीण विकास कार्यक्रम
सन 1947 में भारत स्वतंत्र हुआ इसके बाद ग्रामीण विकास एवं किसानों के हितों के लिए ठोस प्रयास किए गए अनेक राज्यों में जमींदार प्रथा का उन्मूलन किया गया पंचायती राज व्यवस्था को नया जीवन दिया गया सामुदायिक विकास कार्यक्रमों का तेजी से विस्तार किया गया तथा गांवों में विद्युत जल शिक्षा स्वास्थ्य आवास तथा ग्रामीण औद्योगीकरण सहित अनेक परियोजनाएं बनाई गई प्रथम तीन पंचवर्षीय योजना के दौरान ग्रामीण विकास के लिए निम्नलिखित कार्यक्रमों को अपनाया गया।
1. सामुदायिक विकाय कार्यक्रम 1952
2. व्यवहारिक पोषाहार कार्यक्रम 1958
3. पंचायती राज व्यवस्था 1959
4. सघन कृषि जिला कार्यक्रम 1960
5. पर्वतीय क्षेत्र विकास कार्यक्रम 1962
6. जनजाति क्षेत्र का विकास कार्यक्रम 1964
7. सगन कृषि क्षेत्र कार्यक्रम 1965
8. उन्नत बीज कार्यक्रम 1965 तथा
9. सघन क्षेत्र विकास कार्यक्रम 1965।
ग्रामीण विकास की योजनाएं
देश की जनसंख्या का तीन चौथाई हिस्सा ग्रामीण भारत में निवास करता है एवं राष्ट्रीय तभी शक्तिशाली व समृद्ध हो सकता है जब हमारे गांव गरीबी और पिछड़ेपन से मुक्त हो भारत सरकार ग्रामीण क्षेत्रों में द्रुतगामी तथा निरंतर विकास के लिए कटिबद्ध है।
कुछ महत्वपूर्ण योजनाओं का अति संक्षिप्त विवेचन इस प्रकार है।
1.प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना--
यह योजना 25 दिसंबर 2000 को शुरू हुई देश के सभी गांवों को पक्की सड़क मार्ग से जोड़ने की 60000 करोड रुपए की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत 500 से अधिक जनसंख्या वाले सभी गांवों को 2007 ईशा तक अच्छी बारहमासी सड़कों से जोड़ दिया जाएगा। योजना के पहले चरण में 1000 से अधिक जनसंख्या वाले सभी गांवों को अगले 3 वर्षों में ही अच्छी बारहमासी सड़कों से जोड़ने की योजना थी इस योजना का विज्ञान केंद्रीय सड़क निधि से किया जाएगा ।
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