आज हम आपको कुछ कंप्यूटर से सम्बंधित ज्ञान देने जा रहे है आशा करते है आपको पढ़ कर पसंद आएगा तो चलो शुरू करते है --


कम्प्यूटर क्या है ? 

कम्प्यूटर एक स्वचालित तथा निर्देशों के अनुसार कार्य करने वाला इलैक्ट्राँनिक डिवाइस है, जो डेटा ग्रहण करता है तथा साॅफ्टवेयर या प्रोग्राम केे अनुसार, किसी परिणाम के लिये डेटा को प्रोसेस, संग्रहीत अथवा प्रदर्शित करता है।

कम्प्यूटर के विकास कि दिशा में प्रथम प्रयास 19वी शताब्दी में चार्ल्स बैवेज ने किया, इसलिये इनको कम्प्यूटर का जनक कहा जाता हैै। भारत मे निर्मित प्रथम कम्प्यूटर सिद्धार्थ है। वर्ष 1946 में  विश्व का पहली बार पूरी तरह से इलैक्ट्राॅनिक डिजिटल कम्प्यूटर ENIAC ( इलैक्ट्राॅनिक न्यूमेरिकल इण्डिग्रेटर एण्ड कैलकुलेटर ) बना। पहली पीढी का यह कम्प्यूटर वैक्यूम ट्यूब टैक्नोलाॅजी पर आधारित था, लेकिन वर्तमान में कम्प्यूटर द्विआधारी पद्धति (बाइनरी सिस्टम) पर आधारित होते है।

कम्प्यूटर के अंग

  • इनपुट युक्ति - इस युक्ति का उपयोग आँकडो, तथ्यो निर्देशो को कम्प्यूटर के अंदर सम्प्रेषित करने के लिये किया जाता है- जैसे कि-बोर्ड (कुंजी पटल), आॅप्टिकल कैरेक्टर रीडर, आॅप्टिकल मार्क रीडर, मैग्नेटिक इंक कैरेक्टर रीडर, लाइट पेन, ट्रेकबाॅल, स्कैनर, जाॅयस्टिक आदि।
  • आउटपुट युक्ति- कम्प्यूटर द्वारा संसाधित परिणामो को इन युक्तियो के जरिये प्रदर्शित या प्राप्त किया जाता हैै, वीडियो डिस्पले यूनिट, प्रिंटर, प्लोटर्स आदि।
  • सीपीयू- सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (सीपीयू) कम्प्यूटर का सबसे प्रमुख भाग है, जो निर्देशो का उपयोग कर सम्पूर्ण कम्प्यूटर प्रणाली को संचालित करता है। यह कम्प्यूटर का मस्तिष्क कहलाता है। सीपीयू प्रमुखतः दो भागो मेें विभक्त किया जा सकता है-

  1. एएलयू- (अर्थमेटिक लाॅजिक यूनिट) इसका उपयोग सभी प्रकार की अंकगणितीय क्रियाएं ( जोडना, घटाना, गुणा करना तथा भाग देना) और तुलनाएं ( दो संख्याओ में यह बताना कि कौन सी छोटी या बडी है, अथवा दोनो बराबर है आदि) करने के लिये किया जाता है।
  2. कण्ट्रोल यूनिट- यह निर्देशो का सही उपयोग व उनको कण्ट्रोल करने का कार्य करता है।

  • मैमोरी यूनिट- (संग्रह इकाई) यह समाग्री (आँकडे) तथा कार्यक्रम को संचित करने के लिये प्रयुक्त की जाती है। सम्पूर्ण मैमोरी यूनिट को दो भागो में विभाजित किया जाता है।


  • प्राथमिक मैमारी- ( प्राइमरी यूनिट) यह कम्प्यूटर का स्मृति संग्राहक है, जहाँ जानकारी को संचित किया जाता है। इस स्मृति संग्राहक के दो स्पष्ट रूप हैं,
  1. रैम - यह परिवर्तनशील (अस्थायी) मैमोरी है। यह कम्प्यूटर कि मैन मैमोरी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता हैैैै। कम्प्यूटर में सम्प्रेषित सभी डेटा सीधे रैम मे ही स्टोर होता है।
  2. रोम- रोम स्थाई मैमोरी है, जो कम्प्यूटर के निर्माण के समय ही स्थापित कर दी जाती है। इसमें मौजूदा डेटा को केवल पढा जा सकता है, इसलिये इसे रीड ओनली मैमोरी कहा जाता है।
  3. द्वितीयक मैमोरी - यह सूचना को स्थायी रूप से संग्रह करने के काम आती है। ये विभिन्न प्रकार की संग्रह पद्धतियो पर आधारित होती है, जैसे- हार्ड डिस्क, फ्लाॅपी डिस्क, सीडी एवं डीवीडी रोम आदि




हार्डवेयर  
कम्प्यूटर और उस से संलग्न सभी यन्त्र व उपकरण, जिन्हे हम हाथ से स्पर्श कर सकते है, को हार्डवेयर कहा जाता है। इसके अंतर्गत सी पी यू, इनपुट युक्ति, आउटपुट  युक्ति, मैमोरी  यूनिट आदि  आते हैं 




साॅफ्टवेयर- 
प्रोग्रामिंग भाषा में लिखे गये निर्देशों अर्थात प्रोग्रामों की वह श्रृंखला है, जो कम्प्यूटर सिस्टम के कार्यो को नियन्त्रित कर, विभिन्न हार्डवेयरों के बीच समन्वय स्थापित करता है। इसे प्रोग्रामों का समूह भी कहते हैं। यह मुख्यतः दो प्रकार में विभाजित है।





सिस्टम साॅफ्टवेयर -

ये प्रोग्राम कम्प्यूटर चलाने, उसे नियन्त्रित करने, उसके विभिन्न भागो की देखभाल करने तथा उसकी सभी क्षमताओ  का अच्छे से उपयोग करने के लिये लिखे जाते हैं। 

  • आॅपरेटिंग सिस्टम एक ऐसा साॅफ्टवेयर है, जो यूजर और कम्प्यूटर के बीच एक माध्यम (इन्टरफेस) की भाँति कार्य करता है। विण्डोज, एण्ड्राॅयड, आई ओ एस, लाइनक्स आदि इसके उदाहरण हैं।
  • भाषा अनुवादक ये ऐसे प्रोग्राम हैं, जो विभिन्न प्रोग्रामिंग भाषाओ मे लिखे गये प्रोग्रामों का अनुवाद कम्प्यूटर का मशीनी भाषा मे करते हैं।ये मुख्यतः तीन श्रेणियो मे बाँटे गये हैं।
  1. असेम्बलर यह प्रोग्राम, असेम्बली भाषा मे लिखे गये प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा मे करता हैं।
  2. कम्पाइलर यह उच्च स्तरीय भाषा में लिखे गये सोर्स प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा मे करता है।
  3. इण्टरप्रेटर यह उच्च स्तरीय भाषा में लिखे सोर्स प्रोग्राम का अनुवाद मशीनी भाषा मे करता है, परन्तु यह एक बार में केवल एक लाइन का अनुवाद करता हैं।

एप्लीकेशन साॅफ्टवेयर

एप्लीकेशन साॅफ्टवेयर उन प्रोग्रामो को कहा जाता है, जो हमारे वास्तविक कार्य कराने हेतु लिखे जाते हैं।
ये दो प्रकार के होते है।
  1. सामान्य उद्देशीय साॅफ्टवेयर प्रोग्रामों का वह समूह, जिन्हे उपयोगकर्ता अपनी आवश्यकतानुसार अपने सामान्य उद्देश्यों की पूर्ति के लिये उपयोग मे लाते है। उदाहरण- पेजमेकर, फोटोशाॅप, टैली, वर्ड प्रोसेसिंग साॅफ्टवेयर, इलैक्ट्राॅनिक स्पैडशीट्स आदि इसके उदाहरण हैं।                     . 
  2. विशिष्ट उद्देशीय साॅफ्टवेयर ये साॅफ्टवेयर किसी विशेष उद्देशय की पूर्ति हेतु बनाये जाते हैं। इस प्रकार के साॅफ्टवेयर का अधिकांशतः केवल एक उद्देशय होता है। उदाहरण- इनवेंटरी मैनेजमेण्ट सिस्टम, पेरौल मैनेजमेण्ट सिस्टम, एकाउन्टिग साॅफ्टवेयर आदि।
नेटवर्किंग
कोई नेटवर्क एक से अधिक बिन्दुओं, वस्तुओ या व्यक्तियांे को आपस मे इस प्रकार जोडता है कि उनमे से प्रत्येक किसी दुसरे के साथ सीधा सम्बन्ध बना सके। प्रत्येक नेटवर्क का एक निश्चित उद्देश्य होता हैं। 

  • नेटवर्किंग के निम्न लाभ है।
डेटा का आदान-प्रदानः फाइलो को स्थानान्तरण, यूजर कम्युनिकेशन आदि।
मुख्यतः तीन प्रकार के नेटवर्क होते है।
1 लैन स्थानीय क्षेत्र (लोकल एरिया) नेटवर्क
2 मैन महानगर क्षेत्र (मेट्रोपोलिटन एरिया) नेटवर्क
3 वैन व्यापक क्षेत्र (वाइड एरिया) नेटवर्क

नेटवर्क सम्बन्धित तथ्य 

  • नेटवर्क टेपोलाॅजी, नेटवर्क में कम्प्यूटरों को जोडने की भौगोलिक व्यवस्था होती हैः जैसे- स्टार, रिंग, बस आदि।
  • इण्टीग्रेटेड सर्विसेज डिजिटल नेटवर्क, इस नेटवर्क के अन्तर्गत आपको आवाज, वीडियो तथा डेटा सर्विसेज की एकता प्रदान की जाती है।
  • फाइल ट्रांसफर प्रोटोकाॅल यह एक नेटवर्क प्रोटोकाॅल है, जो फाइलो को एक कम्प्यूटर से दूसरे कम्प्यूटर के बीच स्थानान्तरण करने की सुविधा प्रदान करता है।
  • सर्वर, सर्वर वह कम्प्यूटर होता है, जो इण्टरनेट का प्रयोग करने वालो को सूचनाएं प्रदान करने की क्षमता रखता है।

The UniQue ThinG