आइये जानते है कि करो या मरो का नारा किसने दिया था-




यह जानना आपके लिये बहुत  आवश्यक है क्योकि इन सब कि आवश्यकता आपको किसी भी प्रकार कि परीक्षा में पड सकती है। तो चलिये जानते है कि करो या मरो का नारा किसने दिया था.

करो या मरो का नारा महात्मा गाँधी जी ने दिया था, 

यह बात सोचने लायक है, अहिंसा के पुजारी कहे जाने वाले महात्मा गाँधी जी ने करो या मरो का नारा कैसे दे दिया। 


बहुत से छात्रो से बचपन मे यह गलती हो जाती है कि करो या मरो का नारा सुभाष चन्द्र बोस ने दिया था। लेकिन यह बिल्कुल गलत है।


महात्मा गाँधी एक ऐसी सख्सियत थे, जिनका पूरी दुनिया तो लोह मानती ही है हम भारतीस भी उनका यथोचित सम्मान करते है, लेकिन ये बात हमेशा खटकती है की ऐसे लोग जिन्होने इस देश की स्वतंत्रता की खातिर अपना बलिदान दिया उनके बलिदान के महत्व को महात्मा गाँधी के व्यक्तित्व ने अपने कुटिल चाल से दुनिया की नजरो में कम कर दिया।


करो या मरो का नारा महात्मा गाँधी ने भले ही दिया हो लेकिन उस सिधान्त पर चलकर उसे चरितार्थ करने वाले सुभाष चन्द्र बोस, चन्द्रशेखर आजाद, भगत सिंह जैसे वीर को ही इसका श्रेय मिलना चाहिए।





  • महात्मा गाँधी ने करो या मरो का नारा कब दिया था।


महात्मा गाँधी ने करो या मरो का नारा 8 अगस्त 1942 ई0 को मुंबई के ग्वालिया टेंक मैदान में दिया था।
भारत छोडो आंदोलन का आवह्न करते हुये सभी देश वासियो को करो या मरो का नारा दिया था, उन्होने यह भी कहा के अपने हर एक साँस में करो या मरो को बसा लें। क्योकि इस प्रयास में या तो हम मरेंगें या भारत को आजाद करा के छोडेगे ।


  • भारत मे दांडी यात्रा की शुरूआतः-




12 मार्च 1930 भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक अहम शुरूआत कि तरह माना जाता है जिसमें महात्मा गाँधी जी ने दांडी यात्रा शुरू कर सविन्य अवज्ञा आंदोलन की रखी थी।

12 मार्च 1930 की तारीख भारत के राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास मे बहुत अहम तारिख है, 12 मार्च के ही दिन महात्मा गाँधी जी ने भारत की आजादी के लिये सविन्य अवज्ञा आंदोलन का आगाज करते हुये दांडी यात्रा की शुरूआत की थी।

अहमदाबाद के साबरमती आश्रम से शुरू हुई इस यात्रा का उद्देश्य इसके अंत मे नमक कानून को तोडना था जो अंग्रेजो के खिलाफ देश भर मे विरोध का एक बडा संकेत था।



  • रोज 16 किलोमीटर चलते थे गांधी जी:- 



अंग्रेजों के नमक कानून के खिलाफ गांधीजी ने अपने 79 साथियों के साथ 240 मील यानि 386 कोलीमीटर लंबी यात्रा कर नवसारी के एक छोटे से गांव दांडी पहुंचे जहां समुद्री तट पर पहुंचने पर उन्होंने सार्वजनिक रूप से नमक कानून बनाकर नमक कानून तोड़ा. 25 दिन तक चली इस यात्रा में बापू रोज 16 किलोमीटर की यात्रा करते थे. जिसके बाद वे 6 अप्रैल को दांडी पहुंचे थे.






https://en.wikipedia.org/wiki/Salt_March



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